Panchmukhi Hanuman Kavach Mantra and Kahani PDF 

Introduction:-

In Hinduism, Hanumanji is the best deity among the gods, he has been worshiped since ancient times till today. Hanuman ji assumed the form of Panchmukhi Hanuman under necessity. Today we will discuss the same in this article.
Knowing the story of Panchmukhi Hanuman ji will guide human civilization There are many benefits from knowing his story and mantras, which will be beneficial for us and our generation in the future.
Panchmukhi Hanuman Kavach
Panchmukhi Hanuman Kavach Mantra and Kahani

Panchmukhi Hanuman mantra mp3 Audio Hear:-

what are Panchmukhi Hanuman Kavach Mantra lyrics

विनियोगः

ॐ अस्य श्री पञ्चमुख हनुमन्मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः गायत्री छन्दः

श्रीपञ्चमुख विराट हनुमान देवता ह्रीं बीजं श्रीं शक्तिः

क्रौं कीलकं क्रं कवचं क्रैं अस्त्राय फट मम सकल

कार्यार्थं सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ||

|| ईश्वर उवाच ||

अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि श्रुणु सर्वाङ्गी सुन्दरम् | यत्कृतं देव देवेशि ध्यानं हनुमतः प्रियम्||

पञ्चवक्त्र महाभीमं त्रिपञ्च नयनैर्युतम् | बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम् ||

पूर्वं तु वानर वक्त्रं कोटि सूर्यसमप्रभम् | दंष्ट्राकरालवदनं भृकुटी कुटिलेक्षणम् ||

अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम् | अत्युग्रतेजोवपुष भीषणं भयनाशनम् ||

पश्चिमे गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डमहाबलम् | सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम् ||

उत्तर सौकर वक्त्रं कृष्णदीप्तभोमपम् | पाताले सिंहं बेतालं ज्वररोगादिकृन्ततम् ||

ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम् | येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र ताटकाख्यं महासुरम् ||

दुर्गते शरणं तस्य सर्वशत्रुहरं परम् | ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम् ||

खड्गं त्रिशुलं खट्वाङ्गं पाशमंकुशपर्वतम् | मुष्टौ तु कोमोदकौ वृक्षं धारयन्तं कमण्डलूम् ||

भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दसर्वी मुनिपुङ्गव | एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम् ||

प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभूषण भूषितम् | दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम् ||

 सर्वैर्श्वर्यमयं देवं हनुमद विश्वतोमुखम् | पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णं

वक्त्रं सशङ्खविभूतं कपिराजवीर्यम् | पीताम्बरादिमुकुटैरपि शोभितांगं

पिङ्गाक्षमञ्चनिसुतं ह्यनिशं स्मरामि || मर्कटस्य महोत्साहं सर्वशोक विनाशनम् |

शत्रु संहरमाम रक्ष श्रिय दापयम हरिम् ||

ॐ हरिमर्कटाय स्वाहा |

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय पूर्वकपि मुखाय सकलशत्रु संहारणाय स्वाहा |

ॐ नमो भगवते पञ्च वदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूत प्रेतप्रमथनाय स्वाहा |

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय पश्चिम मुखायगरुड़ाय सकलविषहराय स्वाहा |

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसम्पत्कराय स्वाहा |

ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय सकल जन वशीकरणाय स्वाहा |

ॐ अस्यश्री पञ्चमुखीहनुमत्कवच स्तोत्रमन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिरनुष्टुपछन्दः

श्रीसीतारामचन्द्रो देवता हनुमानति बीजं वायुदेवता इति शक्तिः

श्रीरामचन्द्रावर प्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः |

करन्यास

ॐ हं हनुमान अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |

ॐ वं वायुदेवता तर्जनीभ्यां नमः |

ॐ अं अञ्जनीसुताय मध्यमाभ्यां नमः |

ॐ रं रामदूताय अनामिकाभ्यां नमः |

ॐ हं हनुमते कनिष्ठिकाभ्यां नमः |

ॐ रुं रुद्रमूर्तये करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |

हृदयादि न्यास

ॐ हं हृदयाय नमः |

ॐ वं शिरसे स्वाहा |

ॐ अं शिखायै वौषट |

ॐ रं कवचाय हुम् |

ॐ हं नेत्रत्रयाय वौषट

ॐ रुं अस्त्राय फट |

श्रीरामदूताय आञ्जनेयाय वायुपुत्राय महाबलाय

सीताशोकनिवारणाय महाबलप्रचण्डाय लंकापुरीदहनाय फाल्गुनसखाय

कोलाहलसकलब्रह्माण्डविश्वरूपाय

सप्तसमुद्रान्तराललंघिताय पिङ्गलनयनामितविक्रमाय सूर्यबिम्बफलसेवाधिष्ठित पराक्रमाय

सञ्जीवन्या अङ्गदलक्ष्मणमहाकपिसैन्य

प्राणदात्रेदशग्रीवविध्वंसनायरामेष्टायसीतासह

रामचन्द्र वरप्रसादाय षटप्रयोगागमपञ्चमुखीहनुमनमंत्रजपे विनियोगः |

ॐ ह्रीं हरिमर्कटमर्कटाय स्वाहा |

ॐ ह्रीं हरिमर्कटमर्कटाय वं वं वं वं वं फट स्वाहा |

ॐ ह्रीं हरिमर्कटमर्कटाय फं फं फं फं फं स्वाहा |

ॐ ह्रीं हरिमर्कटमर्कटाय खं खं खं खं खं मारणाय स्वाहा |

ॐ ह्रीं हरिमर्कटमर्कटाय डंडं डंडं डं आकर्षणाय सकलसम्पत्कराय पञ्चमुखीवीरहनुमते परयन्त्र तन्त्रोच्चाटनाय स्वाहा |

ॐ पूर्व कपिमुखाय पञ्चमुखीहनुमते ठं ठं ठं ठं ठं सकलशत्रुसंहारणाय स्वाहा |

ॐ दक्षिणमुखे पञ्चमुखी हनुमते

करालवदनाय नरसिंहाय ह्रां ह्रां ह्रां ह्रां ह्रां सकल भूतप्रेतदमनाय स्वाहा |

ॐ पश्चिममुखे गरुडासनाय पञ्चमुखीवीरहनुमते मं मं मं मं मं सकलविषहराय स्वाहा |

ॐ उत्तरमुखे आदिवराहाय लं लं लं लं लं नृसिंहायनीलकण्ठायपञ्चमुखीहनुमते स्वाहा |

ॐ ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रुं रुं रुं रुं रुं रुद्रमूर्तयेपञ्चमुखीहनुमते सकलजनवश्यकराय स्वाहा |

ॐ अञ्जनीसुताय वायुपुत्रायमहाबलाय रामेष्टफाल्गुनसखाय सीताशोकनिवारणाय

लक्ष्मणप्राणरक्षकाय

कपिसैन्यप्रकाशायदशग्रीवाभिमानदहनाय श्रीरामचन्द्रवरप्रसादकाय महावीर्याप्रथम

ब्रह्माण्डनायकायपञ्चमुखीहनुमते

भूतप्रेत पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी अंतरिक्षग्रहपरयंत्र परमन्त्र परतन्त्रसर्वग्रहोच्चाटनाय सकलशत्रु संहारणाय पञ्चमुखीहनुमद्वरप्रसादक सर्व रक्षकाय जं जं जं जं जं स्वाहा |

|| फलश्रुतिः ||

इदं कवचं पठित्वा तु महाकवचं पठेन्नरः |

एकवारं पठेन्नित्यं सर्वशत्रुनिवारणम् ||

द्विवारं तु पठेन्नित्यं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् |

त्रिवारं पठेत नित्यं सर्वसंपत्करं परम् ||

चतुर्वारं पठेन्नित्यं सर्वलोकवशीकरम् |

पञ्चवारं पठेन्नित्यं सर्वरोगनिवारणम् ||

षड्वारं तु पठेन्नित्यं सर्वदेव वशीकरम् |

सप्तवारं पठेन्नित्यं सर्वकामार्थसिद्धिदम् ||

अष्टवारं पठेन्नित्यं सर्व सौभाग्यदायकम् |

नववारं पठेन्नित्यं सर्वैश्वर्य प्रदायकम् ||

दशवारं च पठेन्नित्यं त्रैलोक्य ज्ञानदर्शनम् |

एकादशं पठेन्नित्यं सर्वसिद्धिं लभेन्नरः ||

|| श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवच समाप्तं ||

The Benefits of Wearing the Panchmukhi Hanuman Kavach:-

Hanuman ji is present in every era, he has also been called the God of Kalyug. Said
Every problem of the human of Kalyug is
Surely you can solve it.
The glory of Bajrangbali is unmatched. All our troubles go away just by seeing the Lord. To avoid the wrath of Shani, worship Hanuman ji to remove all evils from the house
Is performed. Reciting and carrying the mantras of Panchmukhi Hanuman Kavach brings blessings and protection of Shri Hanuman ji, Read it your self and people have also read it. For your convenience, we have written all the Pronunciations and made it in PDF, you can also download them. In hearing:-

The Five Faces of Panchmukhi Hanuman:-

क्यों धरा पंचमुखी हनुमान रूप:-
जब राम और रावण की सेना के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब इस समस्या से उबरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया, जो मां भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का का बड़ा ज्ञाता था । उसने अपने माया के दम पर भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया तथा राम एव लक्ष्मण का अपरहण कर उन्हें पाताल लोक ले गया। कुछ घंटे बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण ने यह पहचान लिया कि यह कार्य अहिरावन का है और उसने हनुमानजीको श्री राम और लक्ष्मण सहायता करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा। पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में उसे हराने के बाद बंधक श्री राम और लक्ष्मण से मिले।

कैसे हनुमान जी ने राम-लक्ष्मण को मुक्त किया और क्यों धरा पंचमुखी रूप:

वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा । उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख । इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम, लक्ष्मण को उस से मुक्त किया। इसी तरह से हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान रूप कब धारण की

In English explain the Story of Panchmukhi Hanuman:- 

When a fierce battle was going on between Rama and Ravana's army and Ravana was nearing defeat, then to overcome this problem, he remembered his elusive brother Ahiravan, who was a supreme devotee of Maa Bhavani as well as a master of tantra mantra. He was very knowledgeable. On the power of his illusion, he put the entire army of Lord Rama to sleep and kidnapped Rama and Lakshmana, and took them to Patal Lok. After a few hours, when the effect of Maya subsided, Vibhishan recognized that it was Ahiravana's work and asked Hanumanji to go to Patal Lok to help Shri Ram and Lakshman. He met his son Makardhwaj at the gate of Patal Lok and after defeating him in battle met the hostages Sri Rama and Lakshmana.

How Hanuman ji freed Ram-Laxman and why he took five-faced form:

There he found five lamps at five places in five directions which Ahiravana had lit for Maa Bhavani. Ahiravana will be killed if these five lamps are extinguished together, that's why Hanuman ji took a five-faced form. Varaha face in the north, Narasimha face in the south, Garuda face in the west, Hayagriva faces towards the sky, and Hanuman faces in the east. Taking this form, he extinguished those five lamps and killed Ahiravana, and freed Rama and Lakshmana from him. In the same way, when did Hanuman ji take the five-faced Hanuman form?
you must read it:-

Conclusion:-

We learned how Hanuman ji assumed the form of Panchmukhi Hanuman ji and also learned how to recite the mantra of Panchmukhi Hanuman Kavach and what benefits we will get from reciting it. 

you can also read:- Ganesh aartiGanesh mantra, Ganesh kahani

I hope you have understood everything and must download our PDF free Thanks your